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विषय:-धार्मिकता एवं स्वीकार्यता के संदर्भ में धर्मनिरपेक्षता और सहिष्णुता का विमर्श

             काशी महान संत परिवार के द्योतक रही है ।यहाँ पर कबीर भी हुए और इसी धरती ने वाल्मीकि भी दिए।एक ही धरती पर एक नास्तिक तो दूसरी और भारतीय सभ्यता को राम देने वाले का पैदा होना ही धर्मिकता और स्विकार्यता के सूचक है। है,इसी के साथ काशी का सांस्कृतिक महत्व,धार्मिक महत्व और आध्यात्मिक महत्व भी इतना ही महत्वपूर्ण है।काशी को पौराणिक कहा गया है-पुराण यानी कि जो बदलते समय के परिवेश में अपनेआप को ढाल सके।काशी हिन्दू के साथ साथ जैन,बुद्ध और मुस्लिम के लिए भी इतनी ही महत्वपूर्ण है।अमेरिकी साहित्यकार मार्क ट्वेन ने अपने यात्रा वृतांत 'फॉलोविंग दी इक्वेटर' में यह बातें लिखी हैं की'बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किवदंतियों से भी प्राचीन है और जब इन सबकों एकत्र कर दें, तो उससे भी दोगुना प्राचीन है।' काशी अवर्णनीय है, अतुलनीय है, अलंग्घ है, अद्वितीय है, चिरंतन है, संस्कृति है, आध्यात्म है, दर्शन है, जन्म है, मृत्यु है, उत्सव है, अवसर है।1000 और 1200 साल की गुलामी के पश्चात भी इस समाज ने आपने मूल्यों को नही छोड़ा।हमारी संस्कृति और परंपरा हम...

India after covid:आत्मनिर्भर भारत अभियान&opportunities for india

             देश की प्रवर्तमान समय में जब देश और दुनिया महामारी से गुजर रही है तब प्रधानमंत्री द्वारा दिया गया 'आत्मनिर्भर भारत'की मुहिम वास्तव में बहुत ही सम्मानजनक स्थान रखती है।आखिर देश के प्रधानमंत्री को क्यो जरूरत पड़ी इस संकट की घड़ी में आर्थिक बात को जोड़ने की?जरूरत थी क्योंकि आज भारत के अर्थतंत्र को ही 'Made in China' का लेबल लग गया है।देश के कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र का 25 % हिस्सा हम चीन से आयात करते है।2015 से लेकर अबतक केवल चीन की Shaomi कंपनी के माध्यम से ही देश के टेलीफोन का 18% हिस्सा हमने उनके आगे मानो सोने की थाली में धर दिया है।इण्डस्ट्री में उतपादक साधन में काम मे आनेवाली 25% हिस्से की मशीनरी केवल चीन से आयात की जाती है।तमिलनाडु के कई फटाकों के उत्पादन में लगे 8,00,000 लोग बेकार हो गए जब चीन ने उसमे हस्तक्षेप किया।ये तो सिर्फ एक उदाहरण है क्योंकि ऐसे तो कई उद्योग चीन के हस्तक्षेप के कारण बेकार हो गए और लाखों की तादाद में लोग बेकार हो गए।               इस समस्या का हल में कहीं न कहीं हमारे अतीत...
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            खुशी होती है आज इतने सालों के बाद भी अगर हम उन्हें 'वीर' कहकर बुलाते है फिर भी वह लोग डर जाते हैं और डरना वाज़िब भी है क्योंकि उनके हिसाब से तो इतिहास मतलब नेहरू,इतिहास मतलब इंदिरा,इतिहास मतलब राजीव।लेकिन आज जब 'वीर' सावरकर को भी वह लोग भुलवा नहीं पाये तो डरना बिल्कुल वाज़िब है।परिवारवाद की जो राजनीति 70 सालों से चल रही थी उसकी मानसिकता बदलने में वक्त तो लगेगा।उन्हें भुलावाने की तो आपने बहोत कोशिश कर ली,लेकिन लोगों के दिल से कैसे निकलोगे?नेहरू को भारतरत्न(1955) और वह भी खुद ही ने खुद को दिया हुआ।इंदिरा को भारतरत्न(1971) और जिनके नेतृत्व में दिल्ली के सड़कों पर 2700 शिखो को मौत के घाट उतार दिया गया वह राजीव को भी भारत रत्न(1991),एक ही परिवार में तीन-तीन भारत रत्न।मालूम है आप अभीभी यही कारवाँ चलाना चाहते है क्योंकि आपके हिसाब से तो वीर सावरकर और भगतसिंह,सुखदेव और राजगुरु का तो देश की आज़ादी में कोई योगदान ही नही था।और अगर सवाल माफीनामे पर है ही तो सुन लीजिए-गांधी,नेहरू या यहाँ तक कि सरदार को जब भी कारावास भेजा गया तो 'विशेष व्यक्ति' के रूप में...

ગુજરાતના ગૌરવ અને અસ્મિતા સ્વરૂપ કોરોના વોરિયર્સની ભૂમિકા

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                   ચીનથી સમગ્ર વિશ્વમાં ફેલાયેલ માનવામાં આવતી વૈશ્વિક મહામારી કોરોનાએ વિશ્વજગતના ઘણા સામાજિક,આર્થિક અને રાજનીતિક સમીકરણો બદલ્યા અને જ્યારે હજુ આ મહામારી રોકાવાનું નામ નથી લઇ ત્યારે આગળ પણ કેવાં વળાંકો આવે છે તેના મુકસાક્ષી બન્યા સિવાય હાલ આપણી પાસે બીજો કોઈ ઉપાય નથી,કારણ કે આ મહામારી ને પરાસ્ત કરી શકે તેવી કોઈ દવા હાલ પૂરતી શોધાય નથી.આ મહામારીએ આપણને કેટલીક સાચી વસ્તુને સાથે અવગત કરાવ્યા,આપણા મનમાં બાઝી ગયેલી કેટલીક પરતો આ જ કપરાં સમયમાં આપણી સામે આવી.                           કહેવાય છે ને કે,'ખરાં વ્યક્તિની ઓળખ કટોકટીના સમયે થતી હોય છે.'આવા જ 'ખરાં વ્યક્તિઓ' આજે આપણી,સમાજ ની મદદ માટે પોતાના જીવ,પરિવાર કે કોઈ પણ વસ્તુનો વિચારસુધ્ધાં કર્યા સિવાય આપણી મદદ કરી રહ્યાં છે.સોસાયટીને સાફ કરવા માટે આવતા ' આપણાં ' સફાઈકર્મી ભાઈઓ, ('આપણાં'-આ શબ્દ પર ભાર એટલા માટે મુકવો પડ્યો કે આપણે ખરેખર આ સમયે તેઓને આપણાં માન્યા!)પોલીસકર્મીઓ,પત્રકાર મિત્રોથી,બેંકકર્મીઓ થ...

दिल्ली की बात

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दिल्ली की बात                 चित्र स्पष्ट हो चुका है और दिल्ली में फिर से एकबार 'केजरीवाल सरकार' बन गई है और वह भी 63 सीटों से।दिल्ली को ढेर सारी बधाइयाँ।                     कइयों का दावा है कि केजरीवाल ने सब मुफ्त बांट कर के ये जीत हांसिल की है!कुछ ये भी कह रहे है कि अब EVM पर आरोप नही लगाया जाएगा!कुछ ये भी कह रहे है कि ये सब काम सिर्फ पिछले छ महीनों में ही किया गया!!क्या मुफ्त दिया?शिक्षा का स्तर,पीने का पानी,आरोग्य,बिजली,महिलाओ को मेट्रो और बस में फ्री सुविधा-अरे ये तो आम माँगे है,जो केजरीवाल सरकार ने पूर्ण की ऐसा तो में नही कहूंगा लेकिन उस दिशा में काम करके लोगों का विश्वास हांसिल किया।दिल्ली की सरकारी स्कूलों ने पहली बार निजी स्कूलों के परिणाम को ललकारा और पीछे छोड़ा।बात यहा नही रुकती आरोग्य के क्षेत्र में भी 'महोल्ला क्लिनिक'से बड़ी सिद्धि हांसिल की।महिलाओं को मेट्रो और बस में फ्री सुविधा दी जाए ये दिल्ली की मांग थी क्योंकि वहां पर महिला बेहतर महसूस करे,महिला आज़ादी से घूम सके।दिल्ली में...

भारत कब आज़ाद हुआ? 

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              भारत कब आज़ाद हुआ? ये सवाल आप प्राइमरी के किसी भी विद्यार्थी को पूछेंगे तो भी आपको जवाब मिलेगा-15 अगस्त 1947।लेकिन कितने लोग जानते होंगे कि इससे पहले भी 'आज़ाद' हिंद की मात्र परिकल्पना नही,पर ११ देशों(जिसमे जर्मनी,फिलीपींस और जापान भी शामिल था) के सहमति के साथ आज़ाद भारत की नींव रखी गई थी,जिसकी खुद की बैंक,जासूसी तंत्र,लश्करी सेना और करेंसी (दस रुपये से लेकर 1 लाख की नोट )भी थी।                 हाँ, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के द्वारा ठीक आज ही के २१ अक्टूबर के दिन आज़ाद हिन्द फौज की रचना की गई थी और गांधी के मत के विरुद्ध में द्वितीय विश्वयुद्ध का सहारा लेकर जल्द से जल्द भारत को आज़ाद करने का आह्वान किया गया था।नेताजी का। मानना था कि 'बहुत ही जल्द लाल किले से आज़ाद हिंद का ध्वज फहराया जायेगा।' जो सपना नेताजी जीते हुए तो न देख सके पर उसको पूर्ण वर्तमान केंद्रीय सरकार के प्रधान नरेंद्र मोदी ने किया,आज से एक साल पहले ठीक आज ही के दिन २१ अक्टूबर,२०१८ को तिरंगा लहराकर कही न कही नेताजी को सही मायने में श्रद्ध...

Dare to Dreams.....

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''DREAMS''-the word that doesn't let you sleep,the word that full of hopeness,the word that stay fully in your favour,the word that makes you more lively.....but what happen when you get to know your death time?still you dare to dream about your expected life?i want to introduce all of you one of the lively and positive personality i had ever seen...... MISS AAISHA CHAUDHARY. ....as the name suggest aaisha means 'zindagi',but when we talk about 'Aisha chaudhary' it means 'zindagi' with full of happiness,positive attitude,never give up formula and smile on face in any condition of life......         Aisha chaudhry was born with rare genetical disorder SCID (severe combined immune deficiency) and passed through a bone-marrow transplant when she was only six months old.her parents aditi and nitesh took all the possible chance and saved her to see this beautiful world.In 2014,Because of the side effect of the surgery Aisha's disease pro...