भारत कब आज़ाद हुआ?
भारत कब आज़ाद हुआ? ये सवाल आप प्राइमरी के किसी भी विद्यार्थी को पूछेंगे तो भी आपको जवाब मिलेगा-15 अगस्त 1947।लेकिन कितने लोग जानते होंगे कि इससे पहले भी 'आज़ाद' हिंद की मात्र परिकल्पना नही,पर ११ देशों(जिसमे जर्मनी,फिलीपींस और जापान भी शामिल था) के सहमति के साथ आज़ाद भारत की नींव रखी गई थी,जिसकी खुद की बैंक,जासूसी तंत्र,लश्करी सेना और करेंसी (दस रुपये से लेकर 1 लाख की नोट )भी थी।
हाँ, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के द्वारा ठीक आज ही के २१ अक्टूबर के दिन आज़ाद हिन्द फौज की रचना की गई थी और गांधी के मत के विरुद्ध में द्वितीय विश्वयुद्ध का सहारा लेकर जल्द से जल्द भारत को आज़ाद करने का आह्वान किया गया था।नेताजी का। मानना था कि 'बहुत ही जल्द लाल किले से आज़ाद हिंद का ध्वज फहराया जायेगा।'जो सपना नेताजी जीते हुए तो न देख सके पर उसको पूर्ण वर्तमान केंद्रीय सरकार के प्रधान नरेंद्र मोदी ने किया,आज से एक साल पहले ठीक आज ही के दिन २१ अक्टूबर,२०१८ को तिरंगा लहराकर कही न कही नेताजी को सही मायने में श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
ओडिशा के कटक में जन्म लेने वाले सुभाष बाबू बचपन से ही एक मेघावी छात्र थे,जिन्होंने अपनी स्नातक की शिक्षा कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में ली और 1919 में ICS की परीक्षा सिर्फ पास ही नही,बल्कि चतुर्थ क्रमांक के साथ अव्वल भी रहे।बचपन से ही देश के प्रति समर्पित स स्वभाव वाले सुभाष में अन्याय के साथ लड़ने की और आवाज उठाने की क्षमता थी।सिविल सर्विस में से इस्तीफा देकर आज़ादी के लिए कार्य करती राष्ट्रीय कांग्रेस में जुड़े भी और 1938 में उसके अध्यक्ष पद पर भी रहे।बाद में मतभेदों के कारण उन्होंने अपना इस्तीफा देकर 'फारवर्ड ब्लॉक'की स्थापना की।भारतीय युवाओं में उतकृष्ट पहचान रखनेवाले इस शख्स अपने पीछे भीड़ जुटा लेने की क्षमता रखता था,जो कि मांगने से मिलने वाले हक को छीन लेने में यकीन करता था।
जय हिंद।इंकलाब जिंदाबाद। -ध्रुविल धोराजिया
हाँ, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के द्वारा ठीक आज ही के २१ अक्टूबर के दिन आज़ाद हिन्द फौज की रचना की गई थी और गांधी के मत के विरुद्ध में द्वितीय विश्वयुद्ध का सहारा लेकर जल्द से जल्द भारत को आज़ाद करने का आह्वान किया गया था।नेताजी का। मानना था कि 'बहुत ही जल्द लाल किले से आज़ाद हिंद का ध्वज फहराया जायेगा।'जो सपना नेताजी जीते हुए तो न देख सके पर उसको पूर्ण वर्तमान केंद्रीय सरकार के प्रधान नरेंद्र मोदी ने किया,आज से एक साल पहले ठीक आज ही के दिन २१ अक्टूबर,२०१८ को तिरंगा लहराकर कही न कही नेताजी को सही मायने में श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
ओडिशा के कटक में जन्म लेने वाले सुभाष बाबू बचपन से ही एक मेघावी छात्र थे,जिन्होंने अपनी स्नातक की शिक्षा कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में ली और 1919 में ICS की परीक्षा सिर्फ पास ही नही,बल्कि चतुर्थ क्रमांक के साथ अव्वल भी रहे।बचपन से ही देश के प्रति समर्पित स स्वभाव वाले सुभाष में अन्याय के साथ लड़ने की और आवाज उठाने की क्षमता थी।सिविल सर्विस में से इस्तीफा देकर आज़ादी के लिए कार्य करती राष्ट्रीय कांग्रेस में जुड़े भी और 1938 में उसके अध्यक्ष पद पर भी रहे।बाद में मतभेदों के कारण उन्होंने अपना इस्तीफा देकर 'फारवर्ड ब्लॉक'की स्थापना की।भारतीय युवाओं में उतकृष्ट पहचान रखनेवाले इस शख्स अपने पीछे भीड़ जुटा लेने की क्षमता रखता था,जो कि मांगने से मिलने वाले हक को छीन लेने में यकीन करता था।
जय हिंद।इंकलाब जिंदाबाद। -ध्रुविल धोराजिया
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