दिल्ली की बात

दिल्ली की बात
                चित्र स्पष्ट हो चुका है और दिल्ली में फिर से एकबार 'केजरीवाल सरकार' बन गई है और वह भी 63 सीटों से।दिल्ली को ढेर सारी बधाइयाँ।
                    कइयों का दावा है कि केजरीवाल ने सब मुफ्त बांट कर के ये जीत हांसिल की है!कुछ ये भी कह रहे है कि अब EVM पर आरोप नही लगाया जाएगा!कुछ ये भी कह रहे है कि ये सब काम सिर्फ पिछले छ महीनों में ही किया गया!!क्या मुफ्त दिया?शिक्षा का स्तर,पीने का
पानी,आरोग्य,बिजली,महिलाओ को मेट्रो और बस में फ्री सुविधा-अरे ये तो आम माँगे है,जो केजरीवाल सरकार ने पूर्ण की ऐसा तो में नही कहूंगा लेकिन उस दिशा में काम करके लोगों का विश्वास हांसिल किया।दिल्ली की सरकारी स्कूलों ने पहली बार निजी स्कूलों के परिणाम को ललकारा और पीछे छोड़ा।बात यहा नही रुकती आरोग्य के क्षेत्र में भी 'महोल्ला क्लिनिक'से बड़ी सिद्धि हांसिल की।महिलाओं को मेट्रो और बस में फ्री सुविधा दी जाए ये दिल्ली की मांग थी क्योंकि वहां पर महिला बेहतर महसूस करे,महिला आज़ादी से घूम सके।दिल्ली में पानी का जाल 60% से बढ़ाकर 93% तक ले जाया गया।ये जीत काम के प्रति निष्ठा की जीत है,ये किये गए वादे की दिशा में काम करने की जीत है(ऐसा नही कहूंगा कि ये किए गए वादे की जीत है,क्योंकि बहुत वादे अधूरे रहे) लेकिन राजस्थान और मध्यप्रदेश में जिस प्रकार से कांग्रेस ने किसानों को कर्जमाफी के नाम पर खैरात बाटकर सरकार हांसिल की उससे तो ये लाख गुना बेहतर है। और दूसरी बात मनोज तिवारी की प्रदेश अध्यक्ष बनाकर कई न कई प्रांतवाद की राजनीति खेलने की कोशिश की गई थी,दिल्ली की जनता ने ये जाना और सोच समझकर मतदान किया इसलिए उन लोगों को ढेर सारी शुभकामनाएं। फ़ास्ट फॉरवर्ड:राजनीति में आपको गलत में से सही चुनना है क्योंकि यहां पूरा सही कोई भी नही।तो उसे ही चुना जाए जो कम गलत हो।
-ध्रुविल धोराजिया(ये मेरा निजी मत है)

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