आज जब देश मे हर एक और काश्मीर की समस्या सुलझने से खुशाली का माहौल है,तो दूसरी और गम के बादल भी छा गए,जिनके व्यक्तव्य न जाने मेरे जितने कितने नवयुवाओं के लिए प्रेरणा बने वह हमारे सुषमा स्वराज जी हमारे बीच नही रहे...भगवान उनकी आत्मा को शांति दे।
आज भी उनकी वह स्पीच कान में चुनाई पड़ती है की ''अन्यायी कभी अन्याय का स्वीकार नही करता लेकिन वह अन्याय को सिद्धांत का बाना पहनकर न्याय करने की कोशिश करता है,अध्यक्ष जी!!! हा...हा...हम साम्प्रदायिक है क्योंकि हम वंदे मातरम गाने की बात करते है....हा....हम साम्प्रदायिक है क्योंकि हम राष्ट्रध्वज के सम्मान की बात करते है....क्योंकि हम धारा 370 को समाप्त करने की बात करते है...हा अध्यक्ष जी हम साम्प्रदायिक है क्योंकि हम समान नागरिक संहिता की बात करते है.....हा हम साम्प्रदायिक है क्योंकि हम कश्मीरी शरणार्थी को अपना स्थान देने की बात करते है.....लेकिन दिल्ही की सड़कों पर शिखो का कत्लेआम करने वाले ये कांग्रेसी बिनसाम्प्रदायिक है....मुस्लिम और यादव का तोड़ बिठा कर राजनीति करने वाले ये जनतादल वाले सेक्युलर है.....रामभक्तो को मारने वाले ये सपा वाले सेक्युलर है.......
वास्तविकता तो यह है कि हम इसलिए साम्प्रदायिक है क्योंकि हम अपने हिन्दू होने पर शर्मिंदगी महसूस नही करते....सेकुलरिज्म की हमारी परिभाषा यह है कि एक हिन्दू अच्छा हिन्दू हो,एक मुस्लिम अच्छा मुस्लिम हो,एक शिख अच्छा शिख हो,और हर एक धर्म अपने पंथ को अनुसरते हुए दूसरे के धर्म का आदर करे ''
राष्ट्र को बड़े नेता की खोट......
सुषमा जी हमारे देश की महिलाओं की प्रेरणा थे। उनकी सभ्यता एवं मर्यादा हमेशा देश की युवा पीढ़ी के लिए मार्गदर्शक रहेगी।
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