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विषय:-धार्मिकता एवं स्वीकार्यता के संदर्भ में धर्मनिरपेक्षता और सहिष्णुता का विमर्श

             काशी महान संत परिवार के द्योतक रही है ।यहाँ पर कबीर भी हुए और इसी धरती ने वाल्मीकि भी दिए।एक ही धरती पर एक नास्तिक तो दूसरी और भारतीय सभ्यता को राम देने वाले का पैदा होना ही धर्मिकता और स्विकार्यता के सूचक है। है,इसी के साथ काशी का सांस्कृतिक महत्व,धार्मिक महत्व और आध्यात्मिक महत्व भी इतना ही महत्वपूर्ण है।काशी को पौराणिक कहा गया है-पुराण यानी कि जो बदलते समय के परिवेश में अपनेआप को ढाल सके।काशी हिन्दू के साथ साथ जैन,बुद्ध और मुस्लिम के लिए भी इतनी ही महत्वपूर्ण है।अमेरिकी साहित्यकार मार्क ट्वेन ने अपने यात्रा वृतांत 'फॉलोविंग दी इक्वेटर' में यह बातें लिखी हैं की'बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किवदंतियों से भी प्राचीन है और जब इन सबकों एकत्र कर दें, तो उससे भी दोगुना प्राचीन है।' काशी अवर्णनीय है, अतुलनीय है, अलंग्घ है, अद्वितीय है, चिरंतन है, संस्कृति है, आध्यात्म है, दर्शन है, जन्म है, मृत्यु है, उत्सव है, अवसर है।1000 और 1200 साल की गुलामी के पश्चात भी इस समाज ने आपने मूल्यों को नही छोड़ा।हमारी संस्कृति और परंपरा हम...